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Is there a story in Hindi on this topic-dukh ka karan kayarta hai?

दुःख का कारण कायरता है

एक छोटे से गाँव में, एक गरीब किसान रहता था। उसका नाम था रामू। उसकी ज़िंदगी बहुत मुश्किल थी। उसके खेत सूखे पड़े थे, उसकी फसलें बर्बाद हो गई थीं, और उसके परिवार को खाने के लिए भी मुश्किल हो रहा था।

एक दिन, रामू अपने दोस्तों से मिला, जो उसे समझा रहे थे कि उसे अपनी तकलीफ़ों के लिए खुद को दोषी नहीं मानना चाहिए। वे बोले, "रामू, तुम्हारी ज़िंदगी में इतनी मुश्किलें क्यों हैं? क्या तुम जानते हो, तुम्हारा दुःख का कारण कायरता है! तुम अपनी तकलीफ़ों से डरते हो, इसलिए उन्हें दूर करने की कोशिश नहीं करते।"

रामू को उनके शब्दों में कुछ सच्चाई महसूस हुई। उसने अपने दोस्तों को ध्यान से सुना।

"तुम्हारे पास खेत हैं, लेकिन तुम उनमें कुछ नहीं बो रहे हो क्योंकि तुम सूखे से डरते हो। तुम्हारे पास ताकत है, लेकिन तुम मेहनत नहीं करते क्योंकि तुम ग़रीबी से डरते हो। तुम अपने परिवार के लिए कुछ करना चाहते हो, लेकिन तुम प्रयास नहीं करते क्योंकि तुम असफलता से डरते हो।"

रामू के मन में एक उम्मीद की किरण जगी। उसे समझ में आ गया कि उसके दुःख का कारण उसकी कायरता थी। उसने अपने दोस्तों की सलाह मानने का फैसला किया।

उसने अपने डर को दूर करने की कोशिश की और मेहनत से काम करना शुरू कर दिया। उसने अपने खेतों में नई फसलें बोईं, और उसने अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन बनाने के लिए सब कुछ किया।

धीरे-धीरे, रामू की ज़िंदगी में सुधार होने लगा। उसकी फसलें अच्छी हुईं, उसके परिवार को खाने के लिए पर्याप्त था, और उसकी ज़िंदगी में खुशियाँ वापस आ गईं।

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि दुःख का कारण हमारी कायरता है। हमें अपने डर का सामना करना चाहिए और अपने सपनों को हासिल करने के लिए मेहनत करनी चाहिए। अगर हम अपने डर को दूर करेंगे, तो हम अपनी ज़िंदगी में खुशियाँ और सफलता पा सकते हैं।

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